Monday, October 28, 2013

बकरा ईद

जिस इस्लामी खूनी त्योहार को लोग "अज्ञानवश बकरा ईद
या बकरीद" कहते हैं...... उसका असली नाम..... " ईदुल अजहा" है ...
जिसका अर्थ.... "क़त्ल करने की ख़ुशी" होती है ...!
जिसे थोड़ी बहुत भी उर्दू आती होगी.....उन्हेंये भली-भांति मालूम
होगा कि...... ""कुर्बानी का मतलब बलिदान"" होता है .... और,
""कुर्बानी देने का मतलब खुद मरना"" होता है..... ""ना कि...
दूसरों को मारना""......!
जबकि.... जिबह का अर्थ..... किसी के गले पर छुरी फेरना ..... और,
उसकी हत्या करना है....!
हकीकतन ये हरामी मुल्ले ...... कुर्बानी का नाम लेकर .... हम हिन्दुओं
की भावना को आहात करने और हमें नीचा दिखाने के लिए.... खुलेआम
गौ हत्या करते हैं....!
वास्तव में..... बकरा ईद या बकरीद का असली उद्देश्य.......
मुसलमानों को हत्या करने का प्रशिक्षण देना है ..... जिसके
तहत ......पहले वह निरीह मूक जानवरों को मारते हैं ..... फिर, अभ्यस्त
होकर इंसानों की हत्या करते है ...!
इसके लिए चालाक मुल्ले इब्राहीम नाम के एक
नबी की कहानी का हवाला देते हैं .....जिसने अपने लडके
की कुर्बानी की थी ....और, उसी की याद में यह बकरा ईद मनाई
जाती है ....!
यहाँ तक कि.... मुल्ले मुहम्मद को उसी इब्राहीम का वंशज बताते हैं....!
लेकिन आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे कि...... यह सरासर झूठ है .....
क्योंकि, न तो इब्राहीम ने अपने लडके की कुर्बानी दी थी ....और,
ना ही मुहम्मद... किसी इब्राहीम का वंशज था .
दरअसल इब्राहीम एक झूठा ..... और निहायत
ही अन्धविश्वासी तथा व्यभिचारी व्यक्ति था.......जिसने
अपनी ही सगी बहन से सम्भोग किया था ...!
और, इसी तरह..... इब्राहीम के भतीजे..... लूत ने
भी अपनी सगी बेटियों के साथ सहवास करके बच्चे पैदा किये
थे .......और, मुहम्मद ने हिन्दुओं की आस्था पर चोट करने तथा उनके
दिल दुखाने के लिए गाय की कुर्बानी करने का आदेश दिया था ....!
और ... अगर..... मुल्लों की इब्राहीम और
कुर्बानी वाली बातों को एक क्षण के लिए मान भी लिया जाए
तो....... क्या कोई मुल्ला ये जबाब देगा कि.....
1 -जब यहूदी और ईसाई भी मुसलमानों की तरह इब्राहीम
द्वारा लडके की कुर्बानी की कहानी को मानते हैं ....तो, यहूदी और
ईसाई कुर्बानी क्यों नहीं करते .
2 - क्या इब्राहीम एक सदाचारी और सत्यवादी व्यक्ति था ????
3 - क्या इब्राहीम ने सचमुच ही अपने पुत्र
की कुर्बानी की थी ..क्योंकि ... इब्राहीम के तो दो लडके
थे ......इसहाक और इस्माइल ...... फिर, इब्राहीम ने
किसकी कुर्बानी करना चाही थी....????
4 -क्या मुहम्मद उसी इब्राहीम के बेटे का वंशज है ....????
6 -बाइबिल और कुरान में तो केवल एक "मेंढे (Ram )" की बात
कही है ..... फिर गाय की बात क्यों और कहाँ से आ गई .....????
7 -अपनी सगी बहन के साथ सहवास करने वाले नीच इब्राहीम पर
लानत क्यों नहीं की जानी चाहिए .?????
8. अगर सच में इब्राहीम ने अपने बेटे की कुर्बानी दी थी तो....
उसी का अनुकरण करते हुए ये मुल्ले भी गाय के बदले ..... अपने
सूअरों की तरह जन्मे 20 -25 बच्चों में दो चार
बच्चों की कुर्बानी क्यों नहीं दे देते हैं....????
दरअसल.... ये सब मुस्लिमों का ढोंग है.... और किसी ने
किसी की कुर्बानी नहीं दी थी थी..... तथा, ये बकरीद... हम हिदुओं
की भावना को आहात करने के लिए और, हमारा दिल दुखाने के लिए
मनाया जाता है...!!
और, ये नौटंकी तब तक... इसी तरह चलता रहेगा..... जबतक कि....
मुल्लों को उन्ही की भाषा में जबाब नहीं दिया जायेगा ...
जो भाषा उन्हें समझ आती है...!
जय महाकाल...!!!

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 02 सितम्बर 2017 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    

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